सिंदूर खेल क्या है और और क्यों मनाया जाता है
सिंदूर खेला, दुर्गा पूजा के आखिरी दिन मनाया जाने वाला एक उत्सव है. इस दिन महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं और मिठाई खिलाती हैं.
सिंदूर खेला को सिंदूर उत्सव के नाम से भी जाना जाता है. इसे मां दुर्गा की विदाई के रूप में मनाया जाता है. सिंदूर खेला से जुड़ी कुछ खास बातेंः
मान्यता है कि मां दुर्गा नवरात्रि के दौरान अपने मायके आती हैं और 10 दिन रुकने के बाद फिर वापस सुसराल जाती हैं.
इस दिन मां दुर्गा की मूर्ति के विसर्जन के समय महिलाएं देवी के माथे और पैरों पर सिंदूर लगाती हैं.और एक दुसरे को भी
एक-दूसरे पर सिंदूर लगाती हैं.
सिंदूर लगाने के बाद माता को फूल, पान, मिठाई का भोग लगाया जाता है और आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है.
सिंदूर खेला के दिन पंडाल में मौजूद सभी महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं और शुभकामनाएं देती हैं.
ऐसी मान्यता है कि जो महिलाएं सिंदूर खेला की प्रथा को निभाती हैं, उनका सुहाग सलामत रहता है.
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