इस चट्टान से फेंककर दी जाती थी मौत की सजा, आज लोग जाते हैं घूमने

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यदि आप पहाड़, नदी और सरोवरों की कुदरती खूबसूरती के साथ ऐेतिहासिक महत्व के किले देखने के शौकीन हैं, तो नंदी हिल्स आपके लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन है। यहां 600 मीटर की ऊंचाई पर एक चट्टान है।

इसे टीपू ड्रॉप के नाम से जाना जाता है। टीपू सुल्तान के राज में अपराधियों को मौत की सजा देने के लिए इसका यूज होता था। अपराधियों को मौत की सजा देने के लिए यहां से उन्हें नीचे फेंक दिया जाता था। स्‍थानीय लोगों के अनुसार, यहां से गिराए गए लोगों की चीख आज भी सुनाई देती है।

इस जगह से सूर्योदय का दृश्य बहुत खूबसूरत लगता है। नंदी हिल्स कर्नाटक के चिक्काबल्लापुर जिले में स्थित है। यह हिल्स और नंदी बेट्टा पुराने जमाने में एक घना जंगल हुआ करता था और आर्क्वती नदी का उद्गम स्थल था।

नंदी हिल्स का इतिहास बेहद दिलचस्प है। इसकी उत्पत्ति के बारे में कुछ लोगों का मानना है कि इस पहाड़ी का नाम ऐसा इसलिए है, क्योंकि इसका आकार सोते हुए बैल की तरह है।

इतिहास जानने वाले पर्यटकों को यह बात काफी आकर्षित करेगी कि इस पहाड़ी पर निर्मित मंदिरों में चोल वंश की झलक स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है।

अक्टूबर से जून का समय परफेक्ट बेंगलुरु से नंदी हिल्स की दूरी करीब 60 किलोमीटर है। इस जगह पहुंचने में करीब एक घंटे का समय लगता है। यूं तो नंदी हिल्स कभी भी जाया जा सकता है, लेकिन यहां जाने का उचित समय अक्टूबर से जून माह तक है।

टीपू सुल्तान का किला नंदी हिल्स में टीपू सुल्तान का किला मुख्य आकर्षणों में से एक है। इस किले का निर्माण हैदर अली ने शुरू कराया था, जिसे बाद में टीपू सुल्तान ने पूरा किया।

देवनहल्ली किला नंदी हिल्स पर आप सुबह जल्दी पहुंचकर सूर्योदय देख सकते हैं। हिल्स जाते समय आप देवनहल्ली में रुककर चाय नाश्ता आदि भी कर सकते हैं। देवनहल्ली टीपू सुल्तान का जन्म स्थान है। यहां एक किला है, जिसका निर्माण 15वीं शताब्दी में हुआ था।

कैसे पहुंचें नंदी हिल्स तक आसानी से रेल मार्ग, वायु मार्ग और सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है। यहां तक पहुंचने के लिए कई साधन मौजूद हैं।

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